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लोकसभा चुनाव 2024 एनडीटीवी बैटलग्राउंड क्या प्रमुख सहयोगियों के बिना बीजेपी के लिए काम करेगा मोदी फैक्टर – एनडीटीवी बैटलग्राउंड: तमिलनाडु में बीजेपी पहली बार गठबंधन को कर रही लीड, क्या काम करेगा मोदी फैक्टर?

एनडीटीवी के एसोसिएट इन चीफ संजय पुगलिया के खास शो 'बैटलग्राउंड' में पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट अमिताभ तिवारी ने कहा, ''तमिलनाडु के लोगों की निशानियां और जमीनी हकीकत को लेकर मोदी अच्छे से हैं। अगर आप 2019 में हुई रैली को याद करते हैं तो यूपी, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में मोदी की टॉप 3 सीटें शामिल हैं है।”

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डीएमके के वोट शेयर में सेंध लगाना जरूरी
अमिताभ तिवारी कहते हैं, “फिर भी इसमें एक समस्या है। बीजेपी को देश के अन्य विचारधाराओं में जो फ़ायदा मिलता है, वही फ़ायदा तमिलनाडु में डीएमके को मिलता है। डीएमके के वोट में सेंडप्लांट के बिना बीजेपी जीत की उम्मीद नहीं की जा सकती।” वोट के लिए यह प्रधानमंत्री के करिश्मे पर निर्भर है।”

वहीं, स्थायी द्रमुक के प्रवक्ता मनुराज सुंदरम ने कहा, “मीडिया जगत और आम लोगों के बीच प्रधानमंत्री को काफी तवज्जो मिलती है… हमें खुशी है कि प्रधानमंत्री अक्सर तेमल आए हैं।”

चुनाव में सही मुद्दा उठाने वाले को मिलेगा फायदा
सुंदरम ने कहा- “हालांकि, इसमें दो महत्वपूर्ण बातें हैं। पहला- अब दिल्ली पर विश्वास करने की प्रवृत्ति है। साथ ही परिसीमन प्रक्रिया को लेकर काफी खतरे हैं। इससे उत्तर की तुलना में दक्षिणी राज्य की संसद में प्रतिनिधित्व अनिवार्य रूप से कम हो गया है दूसरा- टेम्प्लेट एक ऐसा राज्य है, जिसमें एक प्रकार की राजनीति का वर्चस्व है। द्रविड़ या समाजवादी राजनीति की पहचान हमारी मजबूत भावना है।” मनुराज सुंदरम ने कहा, “चुनाव में जो इन जादुई कोगा और समाधान साधन, जनता उनके साथ देवी।”

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तमिल लोगों के लिए कुछ ठोस कदम कैटलॉग सेंटर- एआईएडीएमके प्रवक्ता
वहीं, एआईएडीएमके की प्रवक्ता अप्सरा रेड्डी ने कहा, “मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। उन्हें राज्यों का भला करना चाहिए।” उन्होंने कहा, ''पीएम का प्रोप्रोच सीजनल है। मतलब जैसा समय होता है, वो आदर्श सिद्धांत बनाते हैं। जब सुपरस्टार की घोषणा होती है, तो वह यहां आते हैं। मैं कहता हूं कि इच्छा है कि त्रिलक्कुर की कुछ फिल्में आपकी तमिल में नहीं जाएं .इससे बड़ी बढ़त या वोट शेयर हासिल नहीं होगा। आपको तमिल लोगों के लिए कुछ ठोस करना होगा।”

तमिल में बीजेपी का गठबंधन साथ?
तमिल में बीजेपी पहली बार किसी गठबंधन का नेतृत्व कर रही है। इससे पहले 2014 में भी बीजेपी ने बढ़त बनाई थी, लेकिन तब नेतृत्व विजयकांत डीएमडीके के पास था. इसबार बीजेपी ने पीएमके के साथ गठबंधन किया है. इसके संस्थापक पूर्व संघ मंत्री रामदास हैं। ये ओबीसी जाति विशेष की पार्टी है. बीजेपी ने 10 भगवान दिए हैं. इनमें वोट शेयर 5% रहता है। पीएमके नॉर्थ तमिल, कावेरी डेल्टा रिजन में प्रभावशाली बनी हुई पार्टी है। यहां बीजेपी का असर कम है.

बीजेपी ने अम्मा मक्कल मुनेत्र गमकड़ यानी एएमएमके से भी गठबंधन किया है. ये पूर्व सीएम कंपनी के करीबी शशिकला के भांजे टीवी दिनाकन की पार्टी है। अधिनियम के अंतर्गत इसे 2 अंश मिले हैं। इस पार्टी का असर तमिल साउथ में है। इसके अलावा भगवा पार्टी ने तमिल मनीला कांग्रेस के साथ मिलकर भी काम किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री जीके वासन इस पार्टी के नेता हैं। इसके अलावा कई छोटे-छोटे उपकरण भी गठबंधन का हिस्सा हैं।

अन्नामलाई का बढ़ता कद
कोयंबटूर बीजेपी का ट्रेडिशनली मजबूत संगठन है। साउथ तमिल में गाउंडर कम्युनिटी सबसे मजबूत है। इस समुदाय के लीडर पलानीस्वामी हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई भी इसी तरह के अतिथि हैं। अन्नामलाई तेजतर्रार नेता हैं और उन्हें कोयम्बटूर से टिकट भी दिए गए हैं। सोशल मीडिया पर वे मशहूर हैं और गाउंडर युवा भी उन्हें खूब सपोर्ट कर रहे हैं। पहली बार वोट करने वालों में भी अन्नामलाई की लहर नजर आ रही है।

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तमिल में जातिगत राजनीति कितनी नाव?
आज़ादी के वक्त से लेकर तमिल राजनीति तक में ब्राह्मणवादी राजनीति का काफ़ी विस्तार रहा, लेकिन जिस समय द्रविड़ आंदोलन और दलित राजनीति का उदय हुआ, उसी समय से यहां इनकी विचारधारा कम होने लगी। बीजेपी की राजनीतिक साझीदारी है, यही वजह है कि यहां पार्टी को फायदा नहीं मिलता. क्योंकि तमिल में यूक्रेनी नहीं, बल्कि विविधतापूर्ण राजनीति चलती है। सबसे पहली और बड़ी विरोध भाषा का है. वामपंथी राजनीति में संस्कृत भाषा का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर द्रविड़ राजनीति में द्रविड़ भाषा तमिल महत्वपूर्ण है। बेशक चुनाव में जातिगत राजनीति और अविश्वासी बनाम द्रविड़ की राजनीति का दुर्भाग्य छाया रहेगा। अब देखिए ये क्या है कम्युनिस्ट बनाम द्रविड़ की राजनीति पर मोदी की विचारधारा का कितना असर पड़ता है.

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