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दुनिया के लिए 'शांतिदूत' बन रहा भारत, समझिए जापान और फिलिस्तीन को पीएम मोदी से क्यों है इतनी उम्मीद

नई दिल्ली: भारत में नई वैश्विक व्यवस्था में शांति की सबसे बड़ी उम्मीद क्या है? रूस और जापान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो यात्रा शुरू हुई, गुरुवार को उसकी एक तस्वीर सामने आई। सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स देश की बैठक के दौरान भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रूस के राष्ट्रपति से मुलाकात की। उन्हें प्रधानमंत्री मोदी का संदेश भी दिया। उनके पहले रूसी राष्ट्रपति कह चुके हैं कि भारत देश में है, जो रूस-यूक्रेन के बीच बराबरी कर सकता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडोमिर ज़ेलेंस्की ने भी पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात में उम्मीद जताई कि भारत शांति का रास्ता तलाशेगा। खुद प्रधानमंत्री ने कहा कि युद्ध किसी भी संकट का हल नहीं है। बातचीत से मामले का मुख्यालय जाना चाहिए। युद्ध और शांति: वलोडिमिर जेलेंस्की और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बीच क्या छिपा है संदेश? ऐसे देखें, तो ये पांच देश दुनिया का सबसे बड़ा भूगोल और सबसे बड़ी जनसंख्या वाले हैं। रूस से पहले यह बात कही गई थी और उम्मीद की गई थी कि अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो के सामने अब कोई नया नाकाबंदी हो सकती है तो वह ब्रिक्स देश का ही है। हालाँकि, ये काम आश्रम आसान भी नहीं है। क्योंकि, ब्रिक्स के दो सबसे बड़े देश चीन और भारत के बीच मजाक के कई बिंदु हैं। भारत-चीन के बीच रही युद्ध की छाया दरअसल, दोनों देशों में बहुत सारे विवाद पुराने चल रहे हैं। एक पुराने युद्ध की छाया भी रही है. लेकिन, 2020 में गलवान संकट के बाद दोनों देश एक-दूसरे से लगभग अचंभित नजर आ रहे हैं। दोनों के बीच एक प्रमुख आर्थिक नीति का भी उल्लेख है। माना जा रहा है कि नई दुनिया का बिजनेस चीन से हटकर भारत के हाथों में आ रहा है। इन सबके बीच भारत और चीन दोनों देशों की ताज़ा पहली कहानी है कि वे अपना संकट हल करना चाहते हैं। तीन देशों के अरब, जर्मनी और स्विट्जरलैंड दौरे के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को ही जेनेवा में एक बातचीत में कहा कि भारत और चीन के बीच 75% मामले सुलझ गए हैं। 25% का संकट, जानें वर्ल्ड मीडिया में क्या कहा?25% का संकट भी बेहद अजीब भारत और चीन के बीच जो 25% का संकट है, वह छोटा नहीं है। दोनों देश धीरे-धीरे इस संकट के हल की कोशिश में हैं। कोशिश ये है कि गोलीबारी में सेनाएं पुरानी स्थिति में लौट आएं. दोनों एक-दूसरे के क्षेत्र का सम्मान करें। अंतर्विरोध बातचीत अधिक बड़े पैमाने पर हो. ताज़ा सूचना ये है कि अब भारत और चीन के बीच सीधी उड़ान फिर से शुरू करने की चर्चा हो रही है. इसमें सभी तरह की बात से कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा, जिसमें विदेश मंत्रालय भी शामिल है। भारत और चीन के बीच कोविड के दौर में सीधी उड़ान पर रोक लग गई थी। लेकिन, उसी साल गलवान के बाद यह फिर से शुरू नहीं हो सका। होने की वजह से भारत और चीन दोनों के लोग चिंतित हैं, लेकिन एक बड़े पैमाने पर आरक्षण स्तर पर सरकार के सामने कई सवाल हैं। सबसे अहम बात यही है कि भारत दुनिया में एक बड़ी भूमिका निभाना चाहता है, तो उसे अपने मामलों के समाधान भी देखना होगा। चीन के साथ राष्ट्र में सुधार और रूस-यून के बीच शांति की कोशिश…ये दो अहम उदाहरण हैं, जो भारत सरकार के परस्पर विरोधी हैं। दिलचस्प बात यह है कि विश्व में शांति की यह कोशिश अमेरिका और यूरोपीय देशों में बाधा उत्पन्न करती दिख रही है। यूरोप का हथियार देना चिंता की बात यूरोप के देश यूक्रेन को हथियार दे रहे हैं। ताजा खबर ये है कि जापान अब लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाजत भी मांग रहा है। उनका कहना है कि रूस इससे कुछ दबेगा। अमेरिका के सहयोगी देश नाटो से जुड़े कई देश इस प्रयोग के पक्ष में हैं। हालाँकि, अमेरिका अब तक इस विकल्प को स्वीकार कर रहा है; क्योंकि इस पर रूस की प्रतिक्रिया निश्चित हो सकती है। रूस और जापान ही नहीं, अमेरिका को भी भारत पर ही विश्वास ने भी रुख अपनाया रूस का कहना है कि वह इसे अपने ऊपर यूरोप का हमला मानेगा। फिर से वास्तविक की कार्रवाई करना. यह युद्ध को और भड़काने का मामला है। यानी एक तरफ भारत शांति और समाधान की कोशिश कर रही है, दूसरी तरफ अमेरिका और उसके सहयोगी युद्ध भड़काने में लगे हैं। भारत को मिले सामान इजराइल पर 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमास का हमला हुआ था। उनके तीन दिन बाद 10 अक्टूबर को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया था। इससे आपको यह पता चल सकता है कि भारत के इज़राइल में कितने टुकड़े हैं। भारत में आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा के साथ ही इजराइल के साथ अपनी एकजुटता नजर आई थी, लेकिन फिलीस्तीन के रिश्ते के भाई भी इसमें शामिल थे। भारत ने कभी हमास को क्रांतिकारी संगठन नहीं कहा। भारत अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर सामूहिक बमबारी को अंजाम दे रहा है। भारत ने इजराइल और फिलीस्तीन के बीच मानवीय युद्ध की शुरुआत की। एक तरफ इजराइल के साथ सहानुभूति का संबंध रखा गया तो दूसरी तरफ फिलीस्तीनी लोगों की मदद भी की। भारत ने मिस्र के माध्यम से गाजा को 16.5 टन के रॉकेट और चिकित्सा आपूर्ति सहित 70 टन की मानवीय सहायता भी भेजी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो कि जापान के राष्ट्रपति से पीएम मोदी की बातचीत, बांग्लादेश और जापान के हालात पर हुई चर्चा, भारत, हर देश से बेहतर रिश्ते की बात यह है कि फिलीस्तीन की मदद के लिए ईरान आगे आया है। ईरानी राष्ट्रपति की हत्या और फिर ईरान में ही हमास प्रमुख की हत्या के बाद इजराइल के खिलाफ युद्ध की बातें ईरान ही करने लगीं, लेकिन उस ईरान के साथ किसी एक देश के संबंध बेहतर बने हैं, तो वो भारत है। ऐसा होता है कि बाकी दुनिया के शेयरों में फंस जाता है, जबकि भारत में निवेश का काम होता है। अब उम्मीद है कि भारत अपने पड़ोसी चीन के साथ मामले जल्द सुलझा लेगा। क्योंकि इस वक्त की जरूरत है. इसके साथ ही रूस और जापान के बीच चल रही जंग को लाभ या खत्म करने में भारत कैसे शांतिदूत की भूमिका निभाएगा, ये भी देखने वाली बात होगी। भविष्य की गहराई से पता चला है कि बीजिंग और नई दिल्ली दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। चीन ने हालांकि, कई बार भारत पर हमले किये हैं चीन और भारत के लिए किसी भी तरह से एक-दूसरे के साथ साझेदारी करने के लिए अच्छा काम करना होगा इसके लिए अप्लाई कर रहे हैं। पहले ये 5 देशों का समूह था और अब इसमें 8 सदस्य देश भी शामिल हो सकते हैं। रूस युद्ध को बंद करने के लिए कई नेताओं की भागीदारी बताई गई है मोदी रूस के दौरे पर गए थे. उसके बाद वो जापानी चला गया। एक सप्ताह में वो अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं।'' क्वॉड समित 21 सितंबर से शुरू हो रहा है। ऐसे में पीएम मोदी की शांति का प्रस्ताव पैगम्बर के साथ भी डिस्कस किया जाएगा। इस तरह के निजी सहयोग से स्पष्ट रूप से कोई हल निकल सकता है।

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