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शिक्षा और इतिहास को लेकर 67 प्रतिशत छात्र मानसिक दबाव में, 85 प्रतिशत नहीं माँगते मदद: सर्वेक्षण


मुंबई:

आत्महत्या के मामले बढ़ते देख अब मुंबई के स्कूल कॉलेज के विकल्प मूड पर हैं। एक सर्वेक्षण में पता चला है कि 67 प्रतिशत युवा शिक्षा और दबाव में हैं। इसी तरह एक कॉलेज में छात्रों की एक ऐसी टीम बनाई जा रही है जो मानसिक तनाव से गुजर रहे छात्रों को ढूंढे, संस्थान से संपर्क करे और उन्हें मदद पहुंचाए।

पढ़ाई, करियर और कम्पटीशन युवाओं पर मानसिक दबाव बढ़ा हुआ है। एक सर्वेक्षण में पता चला है कि 67% छात्र शिक्षा और विरासत को लेकर दबाव में हैं। आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट्स की मानसिक स्वास्थ्य सेवा पहल एम्पॉवर ने देश भर के 30 समूहों का सर्वेक्षण किया, जिसमें नामांकित दस्तावेज़ सामने आए हैं।

सर्वे में पता चला कि 67.3% छात्र शिक्षा और प्रतिभा को लेकर दबाव से जुड़े हुए हैं। 58.4% छात्रों का आर्थिक दबाव संकट का प्रमुख कारण है। काफी मानसिक दबाव के बावजूद केवल 15% छात्रों ने ही मनोचिकित्सक से मदद ली। 58% छात्रों ने माना कि मानसिक तनाव का सामना करने में मदद के लिए वे सबसे पहले किसी दोस्त का रुख करेंगे। केवल 2% युवाओं ने ही माना कि तनाव की स्थिति में वे किसी काउंसलर या फिर प्रोफेसर से संपर्क करने पर विचार करेंगे।

दार्शनिक से सनातन छात्र

इसके अलावा सर्वेक्षण में 94.4% छात्रों ने माना कि उन्होंने कभी भी आत्महत्या रोकथाम टूलकिट या मानसिक स्वास्थ्य प्राथमिक चिकित्सा का उपयोग नहीं किया है। 69% छात्रों ने माना कि आत्महत्या के संदेश और याचिकाएँ वे आनंद से हैं।

बढ़ रहे आत्महत्या के मामले और इस सर्वे से संभावित मॉड पर आए मुंबई के जाने-माने केजे सोमैया आर्ट्स एंड कॉमर्स ने एम्पॉवर के साथ मिलकर अपने ही छात्रों की अलग-अलग अलग-अलग निर्धारित रेटिंग दी है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य प्राथमिक चिकित्साकर्ता (मानसिक स्वास्थ्य प्राथमिक उपचारकर्ता) नाम शामिल हैं। दिया गया है. इनके पास मानसिक तनाव से गुजर रहे बच्चों को इकट्ठा करना और उन्हें तैयार करना काउंसलर तक की जिम्मेदारी है। छात्रों की इस टीम के कई सदस्य भी खुद ऐसे मानसिक तनाव का सामना कर चुके हैं इसलिए लक्षण अच्छे से कमजोर हैं।

समय-समय पर आत्महत्या जैसे कदम को उठाया जाए

मनोज्ञान के प्रोफेसर डॉ. आतिश टोकरी ने कहा कि, ''यह बहुत पाया, जिस तरह से बच्चों में आत्महत्या के मामले दिख रहे हैं।'' हमने उनकी पहचान की और उन्हें अंतिम संस्कार के रूप में अंतिम रूप दिया।''

एकेडमिक म्यूजिकल म्यूजिक, सोशल मीडिया, अन्य..छात्रों के नाज़ुक दिमाग में ये सब तनाव का मुख्य कारण उभर कर सामने आ रहे हैं। वजहें ऐसे हों तो बच्चे शिक्षक,अभिभावक से दूर ही रहते हैं। ऐसे में एक दोस्त ही बड़ा सहायक बनता है। ऐसे छात्रों में अब दोस्त बनने की कोशिश कर रहे हैं ऐसे तनाव के प्रश्नों को समझें और संस्थान को संभावित करें ताकि कोई छात्र अचानक घातक कदम न उठा ले।

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